मां महामाया का 5 किलो स्वर्ण आभूषणों से राजसी श्रृंगार

मां महामाया का 5 किलो स्वर्ण आभूषणों से राजसी श्रृंगार

नवरात्रि के नौ दिनों के बाद, रतनपुर स्थित मां महामाया का भव्य राजश्री श्रृंगार किया गया। आदिशक्ति को पांच किलो सोने के आभूषणों से सजाया गया, जिसके बाद महाआरती का आयोजन हुआ। मां को 56 प्रकार के भोग चढ़ाए गए और कन्याओं तथा ब्राह्मणों को भोजन कराया गया। इस पावन अवसर पर मां के दर्शन के लिए भक्तों की भारी भीड़ उमड़ी।

वहीं, महानवमी के मौके पर पूरे शहर के दुर्गा पंडालों में हवन-पूजन, कन्या भोज और भंडारे का आयोजन हुआ। बिलासपुर में पश्चिम बंगाल की तरह ही पारंपरिक रीति-रिवाज से पूजा-अर्चना की गई।

विजयादशमी के दिन यहां बंगाली समाज की महिलाओं ने सिंदूर खेला की रस्म अदा की। उन्होंने देवी मां को अपनी बेटी की तरह सिंदूर लगाकर विदाई दी और फिर एक-दूसरे को सिंदूर लगाया। रेलवे परिक्षेत्र में यह परंपरा लगभग 90 साल से चली आ रही है, जहां महिलाएं बंगाल की तर्ज पर देवी की आराधना करती हैं।

महामाया मंदिर में मां के महागौरी रूप की पूजा की गई और उन्हें रानीहार, कंठ हार, मोहर हार समेत नौ तरह के आभूषण पहनाए गए। करधन और नथनी से मां के राजसी स्वरूप को सजाया गया। इसके बाद भक्तों के बीच महाआरती हुई।

मंदिर ट्रस्ट द्वारा कन्या और ब्राह्मण भोज का आयोजन किया गया। दोपहर में ज्योति कलश की विशेष पूजा के बाद वैदिक मंत्रों के साथ उसका विसर्जन किया गया। पूरे दिन रतनपुर में भक्ति का माहौल रहा और दूर-दराज से आए श्रद्धालुओं ने मां के दर्शन कर पुण्य कमाया।

अष्टमी पर मां दुर्गा को नारियल और अढ़वाई चढ़ाने की परंपरा के तहत महामाया मंदिर और दुर्गा पंडालों में श्रद्धालुओं ने सुख-समृद्धि की कामना की। महानवमी पर शहर के मंदिरों और पंडालों पर हवन के बाद कन्या भोज और भंडारे का आयोजन किया गया।

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