Punjab  

High Court Rejects GLADA’s Plea, Orders Refund to Plot Buyer in 2012 Ludhiana Case

पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट ने ग्रेटर लुधियाना एरिया डेवलपमेंट अथॉरिटी (GLADA) की एक याचिका को खारिज कर दिया है। GLADA ने यह याचिका एक प्लॉट खरीदार को पैसे वापस करने के आदेश के खिलाफ दायर की थी। अदालत ने कहा कि GLADA समय पर प्लॉट का विकास पूरा नहीं कर पाई।

जस्टिस गुरविंदर सिंह गिल और जस्टिस दीपेंद्र सिंह की पीठ ने राज्य उपभोक्ता आयोग (SCDRC) और राष्ट्रीय उपभोक्ता आयोग (NCDRC) के उन आदेशों को बरकरार रखा, जिनमें GLADA को सेवा में कमी का दोषी पाया गया था।

क्या है पूरा मामला?

यह मामला GLADA की 2012 की शुगर मिल साइट, जगराओं की आवासीय प्लॉट योजना से जुड़ा है। कांता नाम की एक महिला को 500 वर्ग गज का प्लॉट आवंटित किया गया था, जिसे बाद में GLADA की मंजूरी से शिकायतकर्ता को ट्रांसफर कर दिया गया। शिकायतकर्ता ने लगभग 30 लाख रुपये से ज्यादा की रकम अदा करने के बाद दिसंबर 2015 में उसे पुनः आवंटन पत्र मिला।

आवंटन की शर्तों के मुताबिक, खरीदार को 90 दिनों के भीतर प्लॉट का कब्जा मिलना था। लेकिन लगातार अनुरोध करने के बावजूद उसे दो साल बाद भी कब्जा नहीं मिला। इसके बाद उसने उपभोक्ता फोरम का दरवाजा खटखटाया और ब्याज समेत पूरी रकम वापस मांगी।

राज्य उपभोक्ता आयोग (SCDRC) ने 2018 में GLADA को जमा राशि 12% ब्याज के साथ वापस करने, हस्तांतरण शुल्क लौटाने और उत्पीड़न के लिए 1 लाख रुपये का मुआवजा देने का आदेश दिया। राष्ट्रीय उपभोक्ता आयोग (NCDRC) ने 2024 में धनवापसी के आदेश को तो बरकरार रखा, लेकिन ब्याज की दर घटाकर 9% कर दी और मुआवजे की जगह 10 हजार रुपये का जुर्माना लगाया।

अदालत ने कहा- GLADA के पास कोई सबूत नहीं

GLADA ने हाई कोर्ट में दलील दी कि आवंटन पत्र के मुताबिक, अगर खरीदार निर्धारित समय में कब्जा नहीं लेता है तो इसे ‘डीम्ड कब्जा’ माना जाएगा। साथ ही, अथॉरिटी ने यह भी आरोप लगाया कि खरीदार ने प्लॉट सट्टे के लिए खरीदा था।

लेकिन अदालत ने कहा कि GLADA यह साबित करने में नाकाम रही कि उसने समय पर प्लॉट का कब्जा देने की पेशकश की थी। न ही यह दिखाया जा सका कि सड़क, सीवरेज जैसे जरूरी विकास कार्य पूरे हो चुके थे।

अदालत ने स्पष्ट किया कि ‘डीम्ड कब्जे’ का सिद्धांत तभी लागू होता है जब डेवलपर ने विकास कार्य पूरा कर लिया हो और प्लॉट सौंपने के लिए तैयार हो, लेकिन खरीदार इसे लेने से मना कर दे। इस मामले में ऐसा कुछ नहीं था।

इन तमाम बातों को देखते हुए हाई कोर्ट ने कहा कि NCDRC के आदेश में कोई कमी नहीं है और वह उसमें दखल नहीं देगी। कोर्ट ने GLADA की याचिका को खारिज कर दिया।

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