नई दिल्ली: मनमोहन सिंह सरकार में गृह मंत्री रहे पी. चिदंबरम ने एक बड़ा खुलासा किया है। उन्होंने कहा है कि 26/11 मुंबई आतंकी हमले के बाद अमेरिका समेत अंतरराष्ट्रीय दबाव के कारण भारत ने पाकिस्तान के खिलाफ सैन्य कार्रवाई नहीं की। चिदंबरम ने एक न्यूज चैनल को दिए इंटरव्यू में यह बात कही।
2008 में हुए मुंबई हमले के 17 साल बाद चिदंबरम ने कहा कि उस वक्त उनके मन में भी पाकिस्तान से बदला लेने का विचार आया था, लेकिन अमेरिकी दबाव और विदेश मंत्रालय के रुख के कारण सरकार ने यह फैसला लिया। उन्होंने बताया, “पूरी दुनिया का दबाव था। हमें युद्ध नहीं करने के लिए समझाया जा रहा था। तत्कालीन अमेरिकी विदेश मंत्री दिल्ली आईं और उन्होंने कहा- कृपया कोई कार्रवाई नहीं कीजिएगा।”
इस खुलासे पर भाजपा ने पुरानी कांग्रेस सरकार पर निशाना साधा है। केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद जोशी ने कहा कि चिदंबरम के बयान से पता चलता है कि उस वक्त देश को गलत तरीके से संभाला गया। भाजपा प्रवक्ता शहजाद पूनावाला ने आरोप लगाया कि चिदंबरम खुद सैन्य कार्रवाई चाहते थे, लेकिन सरकार के दूसरे लोगों ने ऐसा नहीं होने दिया।
कसाब को मिली थी फांसी
गौरतलब है कि 26/11 के हमले में 175 लोगों की जान गई थी। आतंकियों ने 60 घंटों तक मुंबई को निशाना बनाया था। हमले के बाद सुरक्षाबलों ने 9 आतंकियों को मार गिराया, जबकि अजमल कसाब को जिंदा पकड़ा गया था। कसाब को 2012 में यरवडा जेल में फांसी दी गई थी।
मास्टरमाइंड का प्रत्यर्पण
इसी साल अप्रैल में, मुंबई हमले के मास्टरमाइंड तहव्वुर राणा को अमेरिका से भारत लाया गया था। इसको लेकर चिदंबरम ने कहा था कि एनडीए सरकार के साथ-साथ पिछली यूपीए सरकार भी इस मामले में क्रेडिट की हकदार है, क्योंकि प्रक्रिया उनके समय में शुरू हुई थी। कांग्रेस ने भी एनडीए सरकार पर अकेले दावा करने का आरोप लगाया है।