अस्थमा (Asthma) क्या है? जानें इसके लक्षण, कारण और बचाव के आसान तरीके
अस्थमा फेफड़ों से जुड़ी एक गंभीर बीमारी है, जिसमें सांस लेने वाली नलियों में सूजन आ जाती है। इसकी वजह से सांस लेना मुश्किल हो जाता है और रोजमर्रा के काम भी प्रभावित होने लगते हैं।
भारत में लगभग 3.5 करोड़ लोग अस्थमा से पीड़ित हैं और दुनिया के कुल मामलों में से 13% हमारे देश में हैं। यह बीमारी बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक किसी को भी हो सकती है। समय रहते इस पर ध्यान देना और इसे मैनेज करना बेहद जरूरी है।
अस्थमा के प्रमुख लक्षण:
- बार-बार सांस फूलना
- सीने में जकड़न या भारीपन महसूस होना
- रात या सुबह के समय खांसी का बढ़ना
- सांस लेते समय सीटी जैसी आवाज आना
ये लक्षण अक्सर ठंडी हवा, धूल-प्रदूषण, व्यायाम या तनाव के कारण बढ़ सकते हैं।
अचानक अटैक आने पर क्या करें?
अस्थमा कभी भी अचानक से बढ़ सकता है। ऐसे में तुरंत राहत देने वाला इनहेलर काम आता है। लेकिन अगर नीचे दिए गए गंभीर लक्षण दिखें, तो तुरंत डॉक्टर के पास जाएं:
- सांस लेने में बहुत ज्यादा तकलीफ
- बोलने या चलने में दिक्कत
- होंठ या नाखूनों का नीला पड़ना
- चक्कर आना या घबराहट होना
अस्थमा के मुख्य कारण और ट्रिगर:
इसका सटीक कारण तो नहीं पता, लेकिन आनुवंशिकता और पर्यावरण दोनों ही इसमें भूमिका निभाते हैं। भारत में वायु प्रदूषण इसे बढ़ाने का एक बड़ा कारण है। कुछ चीजें अस्थमा के अटैक को ट्रिगर कर सकती हैं, जैसे:
- धूल, धुआं और वायु प्रदूषण
- पालतू जानवरों के बाल या रूसी
- ठंडी हवा या मौसम में बदलाव
- तनाव और जोरदार एक्सरसाइज
- सर्दी-जुकाम जैसे संक्रमण
अस्थमा है तो क्या करें?
अस्थमा को पूरी तरह ठीक तो नहीं किया जा सकता, लेकिन इसे कंट्रोल कर सामान्य जीवन जिया जा सकता है।
- सबसे जरूरी है कि अपने ट्रिगर्स को पहचानें और उनसे बचें।
- डॉक्टर की सलाह से दवाएं और इनहेलर नियमित इस्तेमाल करें।
- धूम्रपान से पूरी तरह परहेज करें।
- स्वस्थ खानपान और नियमित हल्की एक्सरसाइज करें।
- तनाव कम करने की कोशिश करें।
याद रखें: अस्थमा के साथ भी पूरी तरह सक्रिय जीवन जीना संभव है। बस जरूरत है थोड़ी सतर्कता और सही देखभाल की। अगर आपको या आपके परिवार में किसी को ऊपर बताए गए लक्षण नजर आते हैं, तो किसी अच्छे डॉक्टर से सलाह जरूर लें।