Asha Bhosle Wins Landmark Personality Rights Protection from Bombay High Court

बॉम्बे हाईकोर्ट ने प्लेटफॉर्म्स को सिंगर आशा भोसले की आवाज, नाम और पहचान का बिना अनुमति इस्तेमाल करने से रोक दिया है। यह आदेश AI टूल्स, ई-कॉमर्स वेबसाइट्स और अन्य संस्थाओं पर लागू होगा।

कोर्ट ने कहा कि AI टूल्स के जरिए किसी सेलिब्रिटी की आवाज की नकल करना उनके व्यक्तित्व अधिकारों का उल्लंघन है। ये टूल्स बिना इजाजत उनकी आवाज को बदल और दोहरा सकते हैं, जो उनकी सार्वजनिक और निजी पहचान का एक अहम हिस्सा है।

आशा भोसले ने कोर्ट का रुख तब किया जब उन्होंने पाया कि उनके नाम और पहचान का गलत तरीके से इस्तेमाल किया जा रहा है। इस शिकायत में AI कंपनी Mayk, ई-कॉमर्स साइट्स अमेजन और फ्लिपकार्ट, टेक प्लेटफॉर्म गूगल और एक स्वतंत्र कलाकार शामिल थे।

शिकायत के मुताबिक, Mayk उनकी आवाज का AI क्लोन बना और बांट रही थी। अमेजन और फ्लिपकार्ट उनकी तस्वीर वाले पोस्टर और सामान बिना अनुमति बेच रहे थे। गूगल इसलिए शामिल था क्योंकि YouTube पर AI कंटेंट में उनकी आवाज की नकल हो रही थी। एक स्वतंत्र कलाकार ने उनकी तस्वीर वाले कपड़े बेचे थे।

आशा भोसले की टीम ने तर्क दिया कि इस तरह का बिना इजाजत इस्तेमाल उनके 80 साल के करियर में बनाई प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाता है। उन्होंने अपने करियर में पद्म विभूषण, दादासाहेब फाल्के अवॉर्ड और दो ग्रैमी नामांकन हासिल किए हैं।

कोर्ट ने मामले की सुनवाई के बाद सभी प्रतिवादियों के खिलाफ रोक लगाने का आदेश दिया। अब कोई भी उनके नाम, तस्वीर या आवाज का व्यावसायिक या निजी फायदा उठाने के लिए इस्तेमाल नहीं कर सकता।

साथ ही, कोर्ट ने सभी प्लेटफॉर्म और विक्रेताओं को ऐसी सभी सामग्री और उत्पाद लिस्टिंग हटाने का निर्देश दिया। उन्हें आशा भोसले को उल्लंघन करने वालों की जानकारी भी देनी होगी ताकि वे आगे की कानूनी कार्रवाई कर सकें।

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