चित्रकूट को मिल सकती है यूनेस्को ग्लोबल जियोपार्क की मान्यता
सतना जिले का चित्रकूट अब यूनेस्को ग्लोबल जियोपार्क बनने की राह पर है। यूनेस्को की एक विशेषज्ञ टीम ने चित्रकूट के तीन दिवसीय दौरे के बाद इसे इस महत्वपूर्ण दर्जे के लिए उपयुक्त पाया है।
टीम के प्रमुख और जियोपार्क विशेषज्ञ डॉ. अलीरेजा अमरीकजामी ने बुधवार को स्थानीय लोगों से बातचीत में कहा कि यूनेस्को ग्लोबल जियोपार्क का मकसद इस क्षेत्र की भूवैज्ञानिक, प्राकृतिक और सांस्कृतिक धरोहरों को संरक्षित करना और उन्हें एक बेहतरीन पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करना है। उन्होंने ईरान के केशम द्वीप के उदाहरण से समझाया कि इससे न सिर्फ पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा, बल्कि रोजगार के नए अवसर पैदा होंगे और स्थानीय हस्तशिल्प व कृषि उत्पादों को वैश्विक बाजार भी मिलेगा।
यह भी आश्वासन दिया गया कि जियोपार्क को इस तरह विकसित किया जाएगा कि स्थानीय कृषि और पर्यावरण को कोई नुकसान न हो और प्रकृति व मानव सहअस्तित्व से रह सकें। यूनेस्को को जल्द ही इसका आवेदन प्रस्तुत किया जाएगा।
इस पहल की सफलता में सोसाइटी ऑफ अर्थ साइंटिस्ट के सचिव डॉ. सतीश त्रिपाठी और जियोपार्क समन्वयक डॉ. अश्वनी अवस्थी के प्रयासों को महत्वपूर्ण माना जा रहा है। वर्तमान में, मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश की सरकारें इस परियोजना पर मिलकर काम कर रही हैं।
स्थानीय लोगों की भागीदारी को भी इसके लिए जरूरी बताया गया है। इससे न केवल रोजगार के नए रास्ते खुलेंगे और पलायन रुकेगा, बल्कि भगवान राम से जुड़े इस तपोधाम को एक वैश्विक पहचान भी मिलेगी।
विशेषज्ञों की टीम ने चित्रकूट के आसपास के कई प्रमुख स्थलों का भी जायजा लिया, जिनमें शबरी जलप्रपात, गुप्त गोदावरी, कामदगिरि पर्वत, कालिंजर किला और बृहस्पति कुंड जलप्रपात शामिल हैं। लाखों साल पुरानी इन चट्टानों और प्राकृतिक संरचनाओं ने विशेषज्ञों को काफी प्रभावित किया है।